ब्रह्मधाम आसोतरा तीर्थ स्थल
Mob. No. – 7023131008 कार्यालय, विश्राम गृह (धर्मशाला) – 7300198801.
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श्री खेतेश्वर दाता की जीवनी
Date of Birth : English calendar-22 April 1912, Hindu Calender-Vikram samwat 1969, vaishakh Shukla Panchami Thursday.
» Father’s Name : Shree Shersinghji Rajpurohit
» Mother’s Name : Srimati Sringar Devi
» Village : Srana
» Birth Place : Kheda , Sanchor
Shree Khetaramji Maharaj spent their Childhood in Kheda village. In the age somewhere between 12-14 years he met a Mahatma in Kheda village after which Vairagya was born in the heart of Shree Khetaramji Maharaj. Khetaramji started visiting Shree Malangshah’s Sai ji ki Beri performed bhakti daily morning and evening. These continued for 2-2.5 years. Shree Malangshah advised Khetaramji Maharaj to accept Shree Ganeshanadji as their spiritual Guru. During last days of Shree Malangshah, Khetaramji executed all bodily services to him and received his mercy and blessings. After Death of Shree Malangshah, Khetaramji Maharaj went to his ancesteral village Srana.
Pandit Bhavani Shankar who was master in Jyotish once saw the hand of Khetaramji Maharaj and predicted that he will be either a chakravarthy King or a great Yogi.
Khetaramji Maharaj was engaged to girl of Goliya village by his parent but since Khetaramji heart was in bhakti, he went to goliya village and with due respect accepted the girl as sister and gave Rs. 10 to her father. After age of 18.5 years, Khetaramji Maharaj went to Shivana village and with help of villagers there constructed Baba Ramdevji’s Mandir.
Then he went to Mutli Village and performed Bhakti for 1 year and gave message of peace.
As Saint never stays a single place for a long time, he then travelled to Samdhari village. He made a Shiva Dune there and took an oath of silence for next 12 years and performed tapasya. After completing 12 years he built mahadev temple.
2-3 km away from Samadhari village near pipaji’s mandir he performed bhakti for a long duration. With Help of Horse Mukund he travelled to Paati village near Pali, stayed there and constructed Savitri Ma temple and also established Lord Shiva Temple there.
From Pati Village he travelled to Aasotra village, place where there is a pay of 24 villages and took a resolution of constructing Shree Brahma Mandir in Aasotra.
On Vaishakh Shukla Panchami 2018(20 April 1961) he performed bhumi Pujan, made Shiv Dhuna and started to construct Lord Brahma Temple. To construct Shree Brahma temple he took donations only from Rajpurohit’s and this started from village Jasol. Donations were all done through receipts and these are present now too. Lord Brahma’s water should not come in feet of people so he made an arrangement by putting pipes deep down under earth and established Kashyapraj at the bottom of pipes. Finally on Vaishak Shukla Panchami Vikram samvant 2041(6 May 1984) at 12:20 noon Lord Brahma was established in main temple and thousands of thousands people participated in this religious ceremony. Just after these 12 hours of ceremony, at 12:20 midnight Shree Khetaramji Maharaj sat in lotus posture and left his body by saying “Hari Om”.खेताराम महाराज आसोतरा - शताब्दी दिव्य पुरुष, वेदों के ज्ञाता और ब्रह्मधाम आसोतरा के संस्थापक संत खेताराम महाराज की पुण्यतिथि पर शुक्रवार को देश के कोने-कोने से उनके अनुयायी ब्रह्मधाम आसोतरा पहुंचेंगे। खेताराम महाराज ने
भारत के विभिन्न प्रांतों की यात्रा कर विश्व के दूसरे सबसे विराट एवं भव्य ब्रह्मा मंदिर निर्माण के लिए समाज बंधुओं से धन संग्रह कर भारत के राजस्थान प्रांत के बाड़मेर जिले के बालोतरा शहर से 10 किलोमीटर दूर गढ़ सिवाना रोड पर स्थित ग्राम आसोतरा में 5 मई 1961 को शुभ नक्षत्र- मुहूर्त में मंदिर की नींव रखी। जो पुष्कर के बाद विश्व का सबसे बड़ा एवं भव्य मंदिर है।
इसका निर्माण खेताराम महाराज के अनवरत अथक प्रयासों के बाद 24 वर्ष में हुआ। 5 मई 1984 को आपने तप, ज्ञान, ब्रह्म शक्ति का सिद्ध प्रयोग कर सृष्टि रचयिता श्रीब्रह्माजी को सपत्नीक धरती पर विराजित किया। भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित कर एक विशाल शक्ति धाम की कल्पना व संकल्प साकार कर मानव जाति का उत्थान किया। उक्त ब्रह्मधाम के दर्शन मात्र से मानव जाति का ह्रदय खिल जाता है।
आकर्षण व आस्था का केन्द्र खेताराम महाराज की समाधि
खेताराम महाराज आसोतरा का परिचिय
नाम - खेतारामजी राजपुरोहित, ब्रह्म वंश अवतार
पिता- शेरसिंह राजपुरोहित
माता- सणगारी देवी
जन्म- 22 अप्रेल 1912 विक्रम संवत 1969 वैशाख शुक्ला पंचमी
स्थान- ग्राम खेड़ा, तहसील-सांचोर, जिला-जालोर, राजस्थान
संन्यास- 12 वर्ष की उम्र में
गुरु दीक्षा- संत शिरोमणि श्रीगणेशानंद जी महाराज द्वारा
सुविख्यात नाम - ब्रह्म अवतार श्री श्री 1008 श्री खेतारामजी महाराज
असंभव कार्य- 5 मई 1984 को जगत पिता ब्रह्माजी का विश्व का दूसरा मंदिर आसोतरा में बनाया
निर्वाण- 7 मई 1984 समय-12: 36 बजे, स्थान ब्रह्म धाम आसोतरा, बाड़मेर
ब्रह्मा धाम भारत के राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले में बालोतरा शहर से 11 किलोमीटर दूर सिवाना रोड पर आसोतरा गांव में स्थित है यहां पर भगवान श्री ब्रह्मा जी का दूसरा मंदिर है ब्रह्मा जी का पहला मंदिर राजस्थान के पुष्कर शहर में हैं पूरे विश्व में ब्रह्मा जी के दो ही मंदिर है इस मंदिर की नींव 20 अप्रैल 1961 में ब्रह्म संत श्री खेताराम जी महाराज के द्वारा रखी गई हैं और 5 मई 1984 में ब्रह्मा जी के मंदिर का संपूर्ण काम पूरा होने के बाद संत श्री खेताराम जी महाराज के कर कमलों द्वारा प्राणप्रतिष्ठा संपन्न हुई आज हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और हर पूर्णिमा को यहां मेला लगता है
संत श्री खेताराम जी महाराज ब्रह्म संत थे उन्होंने इस मंदिर के लिए घर-घर जाकर राजपुरोहित समाज से चंदा राशि इकट्ठा की राजपुरोहित समाज का संपूर्ण सहयोग रहा है इस मंदिर निर्माण में ब्रह्मा जी के इस मंदिर का काम 23 वर्षों तक चला इस मंदिर के लिए शीतर की पहाड़ी सूर्य नगरी जोधपुर से पत्थर लाए गए थे इन पत्थरों पर हाथों से की गई कारीगरी और नक्काशी अति खूबसूरत है मंदिर के गर्भ गृह में भगवान श्री ब्रह्मा जी की मूर्ति संगमरमर से तरासी गई है ब्रह्मा जी की प्रतिमा के पास ही पाताल तक लंबी पाइपलाइन है ताकि ब्रह्मा जी की मूर्ति के स्नान का पवित्र जल आसपास में न बिखरे इस जल को विसर्जन के लिए यह पाइप लाइन अपनी तकनीकी से बनवाई गई थीब्रह्मधाम आसोतरा का इतिहासइस विशाल ब्रह्मा जी के मंदिर का संपूर्ण कार्य और प्राण प्रतिष्ठा एवं महा शांति यज्ञ भक्ति से जुड़ा कार्यक्रम संपन्न होने के बाद दूसरे दिन संत श्री खेताराम जी महाराज लाखों भक्तों के बीच पूरे जगत की मंगल कामना करते हुए अपने शरीर को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए थे बाद में वहां पर लाखों भक्तों में भाव विभोर सा हो गया उन्होंने संत श्री खेताराम जी महाराज की जयकारों से आकाशीय वातावरण को गूंजाने लगे वर्तमान में ब्रह्मधाम आसोतरा में गादीपति श्री खेताराम जी महाराज के शिष्य श्री तुलसाराम जी महाराज हैं
ब्रह्मधाम आसोतरा में भगवान श्री ब्रह्मा जी के दर्शन के लिए खास बात यह है कि मंदिर में प्रवेश द्वार पर जाते ही सामने स्थित भगवान श्री ब्रह्मा जी के साक्षात दर्शन हो जाते हैं चाहे मंदिर में कितनी भीड़ क्यों ना हो ब्रह्मधाम आसोतरा से जुड़ी कुछ जानकारियांब्रह्मा जी के दर्शन करने के बाद पास में ही शिव धूणा है शिव धूणा में महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं है इसके बाद पूरे मंदिर की परिक्रमा करते हैं यहा संत श्री खेताराम जी महाराज से जुड़ी कई वस्तुएं हैं
मंदिर में प्रवेश करते ही दो बड़े-बड़े मटके दिखेंगे जो बाड़मेर में सिलोर गांव में सन 1978 में एक स्कूल की नींव खुदाई के समय निकले थे कहां जाता है यह मटके धन से भरे हुए थे बाद में इन मटको को ब्रह्मधाम आसोतरा में समर्पित कर दिया गया थास्कूल की नींव खुदाई में मिले दो मटके
ब्रह्मा जी के मंदिर के सामने थोड़ी दूरी पर ब्रह्मा संत श्री खेताराम जी महाराज का भव्य मंदिर है इस पूरे मंदिर को राजस्थान के मकराना के व्हाईट पत्थर से बनाया गया हैखेताराम जी महाराज का मंदिर
इस मंदिर में भगवान श्री खेताराम जी के साक्षात दर्शन होते हैं मंदिर के आसपास बाग बगीचा है और मंदिर की म्यूजियम में रखी एक कार है जिसका उपयोग संत श्री खेतेश्वर महाराज आने जाने के लिए किया करते थेसंत श्री खेताराम जी महाराज के जीवन से जुड़ी कुछ जानकारियांयहा पर श्री खेताराम जी महाराज से जुड़ा अनोखा इतिहास है
संत श्री खेतेश्वर महाराज का जन्म राजस्थान के जालौर जिले के सांचौर के पास खेड़ा गांव में राजपुरोहित समाज में एक साधारण परिवार में हुआ खेताराम जी महाराज का बचपन से ही भक्ति से लगाव था कुछ समय बाद में खेताराम जी महाराज अपना घर परिवार छोड़कर भक्ति करने लग गए खेताराम जी महाराज के चमत्कार कई जगह पर है
वर्तमान में ब्रह्मा धाम आसोतरा
वर्तमान में गादीपति श्री तुलसाराम जी महाराज के सानिध्य में ब्रह्मा धाम की देखरेख की जाती है
सड़क मार्गब्रह्मधाम आसोतरा कैसे पहुंचेब्रह्मा धाम के लिए सबसे पहले बाड़मेर के बालोतरा शहर आना होगा बालोतरा शहर राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है यहां पर सीधी बस सेवा है
रेल मार्ग
यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन बालोतरा है यहां पर जोधपुर और बाड़मेर से सीधी रेल सेवा उपलब्ध है
हवाई मार्ग
ब्रह्मा धाम का नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर है
कहां ठहरे
ब्रह्मधाम आसोतरा में ठहरने के लिए यहां
राजस्थान के बाड़मेर जिले के बालोतरा उपखण्ड मुख्यालय से 11 किमी दूर जालोर रोड़ पर स्थित श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा स्थित है। यहां विश्व का द्वितीय सबसे बड़ा ब्रह्माजी का मंदिर स्थित है। जबकि ब्रह्माजी के संग सावित्री जी प्रतिष्ठित है इस दृष्टि से यह विश्व का अद्वितीय मंदिर हैं ।
इस मंदिर का शिलान्यास परम् आराध्य संत श्री खेतारामजी महाराज के कर-कमलों द्वारा 20 अप्रेल 1961 को हुआ। लगातार 24 वर्षो तक निर्माण कार्य जारी रहा । इस अवधि में संत खेतारामजी महाराज ने गांव-गांव, ढाणी-ढाणी, विभिन्न प्रदेशों में प्रवास करके केवल राजपुरोहित समाज से ही अर्थ संग्रह किया और उस निधि को मंदिर निर्माण में लगाया।
ब्रह्माजी के मंदिर का कार्य पूर्ण होने पर दिनांक 6 मई 1984 को मंदिर गर्भगृह में ब्रह्माजी को सावित्रीजी के साथ बिराजित कर प्राण प्रतिष्ठा की। लाखों धर्मप्रेमी बन्धुओं की साक्षी में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से भगवान ब्रह्माजी युगल रूप में स्थापित हुए।
मंदिर के प्रवेश पर दोनों तरफ गजराज है जिन पर इन्द्र और कुबेर अपने-अपने सारथियों के साथ बिराजित है। मंदिर के अंदर चारों ओर अष्टऋषियों की प्रतिमाएं भी है जो राजपुरोहित समाज के विभिन्न गोत्रों के प्रवर्तक है। मंदिर में प्रवेश करते ही बायें से क्रमश:
1.ब्रह्मर्षि उद्दालक 2. वशिष्ठ 3.कश्यप 4.परासर 5. गौतम 6.पिपलाद 7.शांडिल्य 8.भरद्वाज ऋषिगणों की प्रतिमाएं है।
अन्दर सतम्भों एवं गुम्बद के अन्दर विभिन्न देवी-देवताओं, यक्ष, गन्धर्वों की प्रतिमाएं एवं कृष्ण संग गोपिकाओं की रासलीला के दृष्य प्रतिमाएं है। ब्रह्माजी की प्रतिमा के सन्मुख कश्यप (कछुआ महाराज) की प्रतिमा है। गर्भगृह के प्रवेश पर दायें एवं बायें चारों ब्रह्मर्षि सनकादि ऋषि- सनक, सनंदन, सनातन, सनतकुमार की प्रतिमाएं है एवं ऊपर की ओर हंस प्रतिमा है। ब्रह्माजी के मंदिर में एवं बैकुण्ठ धाम पर प्रतिदिन निम्न समय-सारणी के अनुरूप आरतियां होती है।
क्रसं | नाम आरती | समय – शीतकाल | समय – ग्रीष्मकाल |
1 | मंगला आरती | प्रातः 7 बजे | प्रातः 6 बजे |
2 | शृंगार आरती | प्रातः 9 बजे | प्रातः 8 बजे |
3 | भोग आरती | प्रातः 10 बजे | प्रातः 10 बजे |
4 | संध्या आरती | सायं 7 बजे | सायं 8 बजे |
5 | शयन आरती | रात्रि 7 बजे |
आरतियां समय-सारणी
आरती का समय बैकुण्ठ धाम पर परम्गुरुदेव खेतेश्वर दाता की आधा घण्टा पूर्व में होती है। केवल भोग आरती दोनों जगह एक साथ होती है ।
ब्रह्माजी के मंदिर के पास स्थित शिवधूणा एवं बैकुण्ठधाम परिसर स्थित शिवधूणा दोनों जगह दिन में दो बार आरती होती है। पहली बार प्रतिदिन मंगला आरती से पूर्व आधा घंटा एवं अंतिम संध्या आरती से पूर्व आधा घंटा होती है। धाम परिसर में एक रामदेवजी का मंदिर भी है। जिसके पास एक गौशाला भी स्थित है। स्वयं संत खेतारामजी महाराज के अथक प्रयासों से निर्मित एक ब्रह्म सरोवर भी है। ब्रह्म सरोवर की पुण्य धरा पर ही सन् 2012 में शतकुण्डिय यज्ञ हुआ था। एवं सद्गुरुदेव तुलछारामजी महाराज ने चातुर्मास तपसाधना भी की है।
सरोवर के पास एक विशाल कबूतरों का चबूतरा भी है जहां प्रतिदिन सैकड़ों कबूतरों को चुग्गा दिया जाता है। धाम पर एक विशाल भोजन-शाला है जहां समाज के लिए निःशुल्क भोजन व्यवस्था संचालित है।
धाम पर यूं तो प्रति पूर्णिमा मेले का आयोजन होता है जिस दिन देश-प्रदेश से कई भाविक जन धाम आते है । शिव-धूंणा पर गोटा हवन करते है। धोक लगाते है। कई गांवों के युवा कार्यकर्ता पूर्णिमा पर सेवाएं देनें के लिए संघ बनाकर धाम आते है।
प्रतिवर्ष बरसी महोत्सव एवं खेतश्वर दाता की पुण्यतिथि का आयोजन होता है जो वर्ष भर का सबसे बड़ा आयोजन होता है। उसके बाद श्रीकृष्णजन्माष्टमी पर्व, महाशिवरात्री पर्व, गुरूपूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा आदि पर विशेष आयोजन होता है।
प्रतिवर्ष दिसम्बर माह में गुरूमहाराज के आशीर्वाद से नैत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन होता है। जिसमें पात्र व्यक्ति का निःशुल्क ईलाज होता है एवं चश्मे वितरित किये जाते है।
शिविर के समापन पर एक विशाल प्रेम सभा का आयोजन होता है। जिसमें मेथी के लड्डू बांटे जाते है जो कि गुरूमहाराज के आशीर्वाद से आरोग्य लाभ की कामना से सेवन किया जाता है।
Should give a chance to serve once